core
- 251 Posts
- 0 Comment
जब तक अपने आप में हैं तब तक धुंद है ये ठीक गुरुत्तबाकर्षण जैसा है ।
है पर प्रत्यक्ष रूप से अनुभव नहीं होता ,जबकि ये सर्बव्यापी है ।
धुंद के परे घोर अकेलापन है वास्तव में धुंद एक सीमा रेखा है।
धुंद संघर्ष है जो अंतहीन है।
Read Comments