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परा

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हमारी दृश्यता केबल प्रकाश पर निर्भर है।ना तो हम वर्तमान को आगे देख सकते हैं और न तो पीछे देख सकते हैं।हमारा पूरा जीवन भूत और वर्तमान से संचालित है।भविष्य किसी कल्पना जैसा है जो होगा या नहीं होगा ये पूरी तरह वर्तमान पर निर्भर है वर्तमान तो हर एक पल में जीवंत है। शायद वर्तमान हमारे जीवन का तंत्रिका-तंत्र है।

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