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स्थिति जिसे समय से परिभाषित किया गया है या स्थिति जिसे समय के माध्यम से मिनिट घंटा दिन महीना वर्ष के रूप में विभक्त किया गया है वह वास्त्व में हर एक क्षण परिवर्तन शील है या तो वह सूक्ष्म रूप से परिवर्तन प्रकट करता है या वह व्रहद रूप से परिवर्तन प्रकट करता है ।स्थिति के परिवर्तनशील होने की बजह से मनुष्य जीव जंतु पेड़ पौधे पक्षी जिनमे जीबन के सारे लक्षण हैं वे और जिन में जीवन के लक्षण नहीं भी हैं वे ,उन सभी की अपनी वर्तमान अवस्था में वह जहाँ भी हो ,हो सकता है वह ब्रह्ममंड में हो या वह पृथ्वी पर हो उन सभी में सूक्ष्म या वृहद अवस्था में ,उसकी वह पहली स्थिति जिसमे वह घटित होता है में बदलाब आवश्यक ही होगा ,बदलाब एक शाश्वत प्रक्रिया है जो होगी ही ,और उस प्रक्रिया को ,जो इस ब्रह्ममंड से पैदा हुआ है को इस स्थिति परिवर्तन की प्रक्रिया को मानना ही पड़ता है या उस पर यह स्थिति परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी तरह लागू होगी वह इस प्रक्रिया से परे नहीं हो सकता है ।
जो भी इस ब्रह्माण्ड के अंश से पैदा हुआ है वे सभी ब्रह्ममंड की आंतरिक शक्ति से संचालित हैं वह शक्ति किसी भी रूप में हो सकती है वह सभी में उपस्थित है इस लिए सभी की स्थिति हर एक क्षण बदलती रहती है और वह जीव या निर्जीव ,भौतिक या अभौतिक ,पृथ्वी पर या पृथ्वी के बाहर ,गैस द्रव्य या ठोस ,किसी भी अवस्था में क्यों न पैदा हुआ हो ,उसकी वर्तमान अवस्था या स्थिति में परिवर्तन अवश्य ही होता है ।
यह एक अलग प्रकार की ब्रह्माण्डीय प्रक्रिया है जो उन सभी पर पूरी तरह लागू होती है जो ब्रह्ममाण्ड में पैदा कि किया गया है ।
ब्रह्ममाण्ड में ऊर्जा का ज्ञात केंद्र सूर्य है उसका वर्तमान आकार ,द्रव्यमान ,उसमे उपस्थित ऊर्जा को पैदा करने बाले मूल तत्व की स्थिति ,प्रकाश उत्सर्जन करने की क्षमता ,उसके उत्सर्जित प्रकाश की गति या वेग आदि सभी की वह वर्तमान स्थिति में हर एक क्षण परिवर्तन होता रहता है।वह किसी भी समय अपनी पूर्व स्थिति में नहीं रह सकता उसकी पूर्व स्थिति लगातार बदलती रहती है वह हर क्षण बिलकुल नई स्थिति में हो ता है ।
पृथ्वी और पृथ्वी पर उपस्थित जीव या निर्जीव उन सभी की वर्तमान स्थिति वह जो भी ,उसमे क्रमिक या सूक्ष्म ,वृहद स्थिति में परिवर्तन हो ता ही है ।
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