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ईश्वर तब तक है जब तक
इंसान है क्योंकि
जानवरों और पक्षियों का
ईश्वर से कोई सरोकार नहीं है ,
यदि पृथ्वी पर सिर्फ एक
आदमी बचे तो वह
तब तक जिन्दा रहेगा जब
तक उसे ये विश्वास न हो की
उसके आलावा पृथ्वी
पर कोई नहीं है
तब वह ईश्वर को भूल कर ,
अपने विश्वास को सिद्ध करने के लिए 360° धूम लेगा।
जबकि इंसान अपोजिट
सेक्स के बिना पृथ्वी पर
नहीं जी सकता यदि वह
पृथ्वी पर अकेला बचा है तब ,
जबकि वह सन्यासी
और धर्मिक नहीं होगा ,क्योंकि वास्तव में सन्यासी और
धार्मिक भी दूसरो के लिए
बना जाता है ।
यदि इंसान दूसरों के लिए
नहीं जीता तो उसके मरते ही
वह सभी कुछ जो उसने
जीते हुए एकत्र किया था स्वतः ही समाप्त हो जाता।

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