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ह्यूमन ब्रेन कभी कभी स्लो मोसन में बेहतर रूप से सूक्ष्म घटनाओं का आंकलन कर सकता है जबकि फ़ास्ट मोसन ह्यूमन ब्रेन को कन्फ्यूज करता है तथा फ़ास्ट मोसन कभी कभी एनिग्मा या इल्युजन को जनरेट करता है ।
हालाकि अर्थ रोटेसन भले ही 24 घंटे है तथा सन लाइट एमिसन 300000 km/sec है परंतु उस स्पीड को ह्यूमन ब्रेन अपने मुताबिक एडजस्ट करता है ,यह नेचरल मोसन फ़ास्ट है या स्लो है इस सब्जेक्ट पर प्रेक्टिकली कुछ भी नही कहा जा सकता है ?
परंतु यदि किसी टेक्निकल प्रोसेस से इस मोसन को स्लो फॉर्म में कन्वर्ट किया जासके तो उसके आश्चर्य जनक परिणाम या उसका डिफरेंट आउट कम मिल सकता है क्योंकि ह्यूमन ब्रेन या ह्यूमन के पृथ्वी पर जनरेसन से ही उसी मोसन को उसके द्ववारा विजियुलाइज किया जाता रहा है क्योंकि “”स्लो मोसन”” नेचर का ऐंसा सच सामने ला सकता है जो ह्यूमन ब्रेन के द्ववारा कभी सोचा नही गया होगा ।
नेचरली ब्रेन किसी मेटर को उसी फ़ास्ट मोसन में ऑब्जर्व करता है जिस मोसन में वह मेटर जनरेट होता है जबकि लाइट का ऑब्जर्वेन् उसकी इंटेंसिटी या वेलोसिटी के बीहाफ में ही किया जा सकता है उसके अगेंस्ट स्लो मोसन में नही किया जा सकता है ।
जबकि ब्रेन की सेल्फ इंटेंसिटी क्या है यह काफी महत्त्वपूर्ण प्रश्न है और ब्रेन कब सबसे ज्यादा इंटेंस होता है जबकि ब्रेन ट्रांसेनडेंटल फेज में पहुचता है तब वह किस इंटेंसिटी से विज्युअल्स को ऑब्जर्व करता है आदि ।

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