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किसी भी इंसान के द्ववारा लिखा गया किसी भी प्रकार का विचार या भाषण तथा उस विचार तथा भाषण में अनुप्रयोग किये गए शब्द तथा विचार तथा भाषण की भाषा किसी भी प्रकार की क्यों न हो (इंग्लिश हिंदी रशियन फ्रेंच अरबी )उसके व्यक्तित्व का पूरा मनोविज्ञान जिससे अभिप्रेरित होकर वह अपना जीवन जीता है वह उस अनुप्रयोग किये गए शब्दों में छुपा होता है इसलिए स्वामी विवेकानन्द को अपनी भाषा और शब्दों में लिखना चाहता हूँ वह वास्तव में उनका मनोवैज्ञानिक रूप होगा जबकि वे 40 वर्ष जैसी अल्प आयु में समाधी लीन हुए ।
(i) भाषा कोई भी हो उसमे प्रयोग किये गए शब्द उस व्यक्ति के पूरे मनोविज्ञान और ज्ञान की सटीक व्याख्या करते है ।
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