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ह्यूमन बींग ,बर्ड ,एक्वाटिक ,एनिमल इनमे से एक भी ऐंसा जीव नही है जो अपने अस्तित्व को सिर्फ एक सेकेण्ड के लिए भूल जाए ? और उसका होना उसे याद न रहे ?
(i) ह्यूमन में किसी भी तरह का डिसॉर्डर क्यों न हो ? परंतु वह किसी भी क्षण अपने अस्तित्व को याद रखता है ,पागल से महा पागल हो जाए पर उसे उसके होने की अनुभूति बनी रहती है तथा कभी कभी कोमा जैसी स्थिती में भी उसे उसका अस्तित्व याद रहता है और वह किसी भी तरह की फिनोमिना से अपने अपने आप से बाहर नही जा सकता है ,वह कैसी भी कल्पना करले ,कैसे भी सोच ले पर ह्यूमन अपने अस्तित्व को साथ रखते हुए ऐंसा करने के लिए विवश है ।
(ii) अस्तित्व का अभिप्राय है खुद के होने की अनुभूति तथा वर्तमान जो अविभाज्य है जबकि सोना अपने अस्तित्व को भूलना नही है वह एक मेन्टल और फिजिकल अवस्था है जिसमे ह्यूमन कोन्सियस से सब कोन्सियस होता है परंतु उसका अस्तित्व उसके साथ बना रहता है , और उसे सपने भी आते है और उन सपनो को यथार्थ या अपने अस्तित्व के साथ जोड़ते हुए डरता या रोता या हँसता या चलता या सेक्स करता आदि का नीद में अनुभव करता है ।
(iii) शायद समाधी एक फेज या फिनोमिना है जिसमे ह्यूमन अपने अस्तित्व को किसी विशेष क्षण के लिए भूल जाता होगा ? और शायद वह निराकार का अनुभव करता होगा जैसा भी हो इसका कोई व्यक्तिगत निष्कर्ष नही है सिर्फ यह सुना या पढ़ा है ।
(iv) मृत्यु एक संसारिक घटना है जिसमे किसी का फिजिकल एक्सिस्टेंस समाप्त होता है और फिजिकल एक्सिस्टेंस समाप्त होती ही किसी समय बाद मेन्टल एक्सिस्टेंस भी समाप्त हो जाता होगा ? जबकि यह निष्कर्ष देखने और सुनने बाला है प्रेक्टिकली क्या होता है कुछ भी सटीक नही कहा जा सकता है ।
(v) जबकि बींगस का अस्तित्व जब तक विद्यमान है उसकी फिजिकल और मेन्टल अनुभूतियाँ और अनुभव उसे होते रहते है उसके सेन्स उसे जीवन में होने का अहसास कराते है ।

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