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प्रकाश और अन्धकार दोनों एक साथ नही रह सकते ?
जब प्रकाश होगा तो अन्धकार नही होगा तथा जब अन्धकार होगा तो प्रकाश नही होगा ,
परंतु अन्धकार और प्रकाश दोनों एक साथ पैदा नही होते है अथवा दोनों के पैदा होने के वास्तविक कारण वे ही होते हैं , जबकि प्रकाश और अन्धकार में ऐंसी साम्यावस्था निर्मित नही हो सकती है की वे दोनों अपनी स्वाभिक अवस्था में एक साथ बने रहे ।
परिणामतः किसी एक को समाप्त होना ही पड़ेगा तब दूसरा जन्म लेगा ,
प्रकाश और अन्धकार दोनों के बीच में किसी ट्रांजिसन पॉइंट पर वे एक दुसरे से अलग होते है तथा वे दोनों उसी ट्रांजिसन पॉइंट से एक दुसरे में मिलते है जो प्रकाश और अन्धकार का इंटेरसेक्सन होता है
इस तरह प्रकाश या अन्धकार में से किसी एक का रहना नेचरल फिनोमिना है ।
नेचरली प्रकाश और अन्धकार एक साइकल जैसे है
यदि किसी जगह यूनिवर्स में न प्रकाश हो और न अन्धकार हो अभिप्रायतः दोनों ही अपनी प्राकृतिक अवस्था में न हों तब वहाँ विजीविल्टी सम्भव नहीं हो सकती है ?
यथा पृथ्वी या अन्य गृह जहाँ प्रकाश और अन्धकार अपनी साम्यअवस्था में साथ साथ होते है वहां सभी तरह की फिनोमिना और फ्लेसिंगस लाइट से इंटरकनेक्ट होती हैं ।
इसलिए सामान्यतः ह्यूमन ब्रेन की सोच और उसकी कल्पनाओं का दायरा लाइट तथा डार्क से बाहर नही जा सकता है?
वह उसकी लाइट और डार्क के अराउंड रहेगा जिसमे वह अपना पूर्ण जीवन जीता है ।
(i) ऐंसा हो भी सकता है ? की यूनिवर्स या यूनिवर्स के परे किसी जगह पर लाइट और
डार्क दोनों ही उपस्थित न हों ।
उन परिस्थितियों में वहां किसी भी प्रकार के प्रकाश उत्सर्जन का कोई भी केंद्र नही होगा तथा वहां वाटर वेपर में नही बदलेगा यदि वहां वाटर है ?
उस स्थान पर न वाटर सर्कुलेटिंग और न ब्लड सर्कुलेटिंग सिस्टम आदि नही होगा ।
(ii) यदि किसी जगह ऐंसी भिन्न परिस्थितियां हैं तो वहां जीवन पृथ्वी के जीवन से भिन्न होगा क्योंकि पृथ्वी पर जीवन प्रकाश तथा अन्धकार और दृश्यता पर संचालित है जबकि आँखे प्रकाश की उपस्थिति में ही किसी बस्तु को देख सकती हैं और उसका
अवलोकन कर सकती है।

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