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किसी दिन आप जान जायेगे की आप के आँसु व्यर्थ थे ? यह तब जानेगे जब आपका ज्ञान बढेगा या आप की उत्तरोत्तर समझ बढेगी , अन्यथा आप सिर्फ आँसु बहाते रहेगे ,
जबकि जब तक आप अपने आप को खत्म नही करेगे तब तक आपका अपना असली व्यक्तित्व आपके अंदर से बाहर नही निकल सकता है और आप सिर्फ दूसरो के प्रभाव में जीते जायेगे ,
इसलिए जब सिद्धार्थ खत्म हुआ , तब बुद्ध जिन्दा हुए अन्यथा बुद्ध सिर्फ सिधार्थ भरा जीवन जीते रहते
जबकि मानवता के रूप में बुद्ध पैदा हुए और सिद्धार्थ के रूप में मानव था और मानव की सीमा है ,
इसलिए किसी न किसी समय आप को अपने आप को मारना पड़ेगा यदि आप मानवीय विराटता चाहते है ।

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